अगर पीनिस में कहीं टेढ़ापन या झुकाव दिखे तो यह Peyronie’s disease हो सकती है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें पीनिस के अंदर मौजूद फाइब्रस स्कार टिशू टेढ़ा हो जाता है। इसकी वजह से इरेक्शन के दौरान काफी दर्द होता है (Penis Skin Problems)
1. जेनिटल हरपीज (Genital Herpes)
जेनिटल हरपीज एक यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) है, जो असुरक्षित सेक्स के दौरान एक व्यक्ति से दूसरे में जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, 14-49 आयु वर्ग के प्रत्येक 6 में से 1 से अधिक लोगों में जेनिटल हरपीज की समस्या है।
एक स्टडी के अनुसार, भारत में 7.9%-14.6% पुरुषों में जेनिटल हरपीज की समस्या हो सकती है। जबकि इस समस्या के इलाज के लिए डॉक्टर से मिलने वाले लोगों की संख्या 43%-83% के बीच में हो सकती है। (Penis Skin Problems)
जेनिटल हरपीज, दाद का ही एक अन्य रूप है। ये वायरस ज्यादातर पुरुष के लिंग में असुरक्षित यौन संबंध बनाने से होता है। इसके लक्षणों में लिंग पर पानी से भरे दाने या फफोले होना, दर्द, खुजली, जलन आदि शामिल है। कई बार जब पस या पानी से भरे दाने फूटते हैं तो निशान छोड़ जाते हैं।
जेनिटल हरपीज का उपचार (Genital Herpes Treatment in Hindi)
हरपीज का वर्तमान में कोई इलाज नहीं है, लेकिन एंटीवायरल दवाएं इसे फैलने से रोकने या इलाज में मदद कर सकती हैं।
जेनिटल हरपीज से पीड़ित व्यक्तियों को सेक्शुअल एक्टिविटी से बचना चाहिए जब तक कि घाव ठीक न हो जाएं। इस दौरान, घावों को छूने से भी बचना चाहिए, क्योंकि इससे ये वायरस लिंग या शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है। (Penis Skin Problems)
2. जेनिटल वार्ट्स (Genital Warts)
जेनिटल वार्ट्स भी अन्य प्रकार का वायरल सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (Sexually Transmitted Infection) या यौन संचारित संक्रमण है। ये इंफेक्शन ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (Human Papillomavirus) के कारण होता है।
जेनिटल वार्ट्स के कारण पेनिस पर छोटे, उभरे हुए, गोभी की सतह जैसे दिखने वाले दाने हो जाते हैं। जेनिटल वार्ट्स की समस्या होने पर खुजली, जलन और असुविधा होना सामान्य बात है। अमेरिका में आमतौर पर 1% लोगों को जेनिटल वार्ट्स की समस्या है।
जेनिटल वार्ट्स का उपचार (Genital Warts Treatments in hindi)
अगर वार्ट्स के कारण होने वाले मस्सों में दर्द या सेक्स में असुविधा नहीं हो रही है तो, इसके इलाज की कोई जरूरत नहीं है। वैसे भी, 3 में से 1 इंसान में ये बीमारी 2 साल के अंतराल में अपने आप ही ठीक हो जाती है।
वार्ट्स को हटाने के लिए, डॉक्टर उन्हें फ्रीज कर सकता है, लेजर सर्जरी कर सकता है या वार्ट्स को नष्ट करने के लिए मस्सों पर लगाने की दवा लिख सकता है। ये उपचार उस वायरस को नहीं मारते हैं जो वार्ट्स का कारण बनते हैं। हालांकि, वे भविष्य में वापस आ सकते हैं। (Penis Skin Problems)
वार्ट्स के ठीक हो जाने के बाद भी पुरुषों को कम से कम 2 सप्ताह तक सेक्स से बचने की सलाह दी जाती है। इस समय के बाद भी, वायरस से पार्टनर को बीमारी होने के चांस रहते हैं। इसलिए सेक्स करते समय कंडोम का उपयोग करना बहुत जरूरी है।
3. फिरंग / सिफलिस (Syphilis)
सिफलिस एक गंभीर किस्म का बैक्टीरिल इंफेक्शन है। ये सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (Sexually Transmitted Infection) या यौन संचारित संक्रमण का ही एक प्रकार है। सिफलिस के इंफेक्शन की शुरुआत में, पुरुष के लिंग पर लाल रंग के कठोर, लेकिन दर्द रहित दाने निकल आते हैं। ये दाने 3 से 6 सप्ताह तक रहते है। (Penis Skin Problems)
अगर इसी समय सिफलिस का इलाज न किया जाए तो इससे,
- कार्डियो वस्कुलर समस्याएं (Cardiovascular Problems)
- डिमेंशिया (Dementia)
- सुनने या देखने में समस्या (Hearing Or Vision Loss)
- एचआईवी संक्रमण का खतरा (Increased Risk Of HIV Infection)
- मैनिन्जाइटिस (Meningitis)
- स्ट्रोक (Stroke)
आदि की समस्या भी हो सकती है।
सिफलिस का उपचार (Syphilis Treatments in hindi)
यदि किसी व्यक्ति को फिरंग रोग या सिफलिस होने का शक है तो, उसे इंफेक्शन को बढ़ने और सेहत से जुड़ी गंभीर समस्याओं से बचने के लिए जल्द से जल्द इसके इलाज की ओर ध्यान देना चाहिए। सिफलिस के इलाज के लिए ज्यादातर डॉक्टर पेनिसिलिन (Penicillin) के इंजेक्शन का प्रयोग करते हैं। (Penis Skin Problems)
4. स्कैबीज (Scabies)
स्कैबीज का दूसरा नाम खाज भी है। डॉक्टर खाज-खुजली या स्कैबीज का इलाज करने के लिए क्रीम या लोशन इस्तेमाल करने की सलाह दे सकता है। खाज-खुजली या स्कैबीज, स्किन में होने वाली एक संक्रामक समस्या है। ये समस्या पुरुष के पेनिस सहित शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकती है।
सर्कोपिट्स स्कैबी (Sarcoptes Scabiei) नाम के माइट के त्वचा में प्रवेश करने पर लोगों को खाज-खुजली या स्कैबीज की समस्या होती है। सेक्शुअल रिलेशन रखने के बाद संपर्क में आने पर सेक्स पार्टनर को भी ये समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है।
स्कैबीज के कारण त्वचा पर छोटे-छोटे फफोले या घाव हो जाते हैं। इन फफोलों में खासतौर पर रात में बहुत तेज खुजली होती हैं। ये घाव आमतौर पर पतली, अनियमित रेखाओं में होते हैं जो माइट को स्किन के नीचे जाने का रास्ता दिखाती है।
संक्रमण से प्रभावित पुरुष को अगर पहले कभी ये समस्या नहीं हुई है तो, उसमें स्कैबीज के लक्षण देर से दिखते हैं। कई बार तो इसमें 4-6 हफ्ते का समय भी लग सकता है। अगर पहले कभी स्कैबीज की समस्या हो चुकी हो तो, इसके लक्षण 1-4 दिनों के भीतर भी दिखाई देते हैं। (Penis Skin Problems)
दुनिया में स्कैबीज / खाज के लगभग 130 मिलियन मामले हैं। एक स्टडी के अुनसार, भारत के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की 13% से 59% आबादी को स्कैबीज / खाज की बीमारी है।
स्कैबीज का उपचार (Scabies Treatments in hindi)
स्कैबीज की समस्या होने पर डॉक्टर सबसे पहले क्रीम और लोशन का प्रयोग करने की सलाह देते हैं। अगर इससे समस्या ठीक नहीं होती है तो, डॉक्टर ओरल दवाएं लेने की सलाह भी दे सकते हैं। खुजली होने पर कोल्ड कम्प्रेस या एंटीहिस्टामाइन्स (Antihistamines) का प्रयोग भी किया जा सकता है। ये दवाओं के असर करने तक राहत दे सकते हैं।
5. मोलोस्कम कन्टेजियोसम (Molluscum Contagiosum)
मोलोस्कम कन्टेजियोसम एक वायरल स्किन इंफेक्शन है। ये इंफेक्शन किसी को भी एक-दूसरे से संपर्क में आने से हो सकता है। कई बार तो किसी दूसरे इंसान का तौलिया इस्तेमाल करने या पर्सनल प्रोडक्ट्स को इस्तेमाल करने से भी ये समस्या हो जाती है। सेक्शुअल रिलेशन बनाने के दौरान ये समस्या पुरुष के लिंग या पेनिस पर भी हो सकती है।
मोलोस्कम कन्टेजियोसम का वायरस उन सभी सतहों पर जीवित रह सकता है जिन्हें प्रभावित व्यक्ति की त्वचा के द्वारा छुआ गया है। ये वायरस, टॉवेल, कपड़े, खिलौने, या दूषित होने वाले अन्य सामानों में मौजूद होना संभव है।
मोलोस्कम कन्टेजियोसम में लिंग पर गोल, उभरे हुए, गुलाबी या मांस के रंग के दाने हो जाते हैं। इन दानों में तेज खुजली भी होती है। ये दाने अक्सर अकेले या गुच्छे के रूप में भी हो सकते हैं। (Penis Skin Problems)
ज्यादातर मामलों में ये 12-18 महीने में खुद ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन मोलोस्कम कन्टेजियोसम रहने के दौरान अगर कोई इंसान सेक्स करता है तो, ये समस्या उसके पार्टनर को भी हो सकती है।
मोलोस्कम कन्टेजियोसम का उपचार (Molluscum Contagiosum Treatment In Hindi)
मोलोस्कम कन्टेजियोसम की समस्या होने पर डॉक्टर लिंग पर क्रीम या लोशन लगाने की सलाह दे सकता है। अगर समस्या ज्यादा गंभीर हो तो, डॉक्टर इसे छोटी सर्जरी के जरिए भी हटा सकता है। इस समस्या में क्रायोथेरेपी और लेसर थेरेपी के इस्तेमाल की सलाह भी दी जा सकती है। (Penis Skin Problems)